IAS नवीन जैन की पुस्तक 'वैक्सीन 50' ने मचाई धूम


कठिन समय से खुद को बाहर निकाल लाने वाले मन का निर्माण करने में सक्षम आईएएस नवीन जैन की पुस्तक वैक्सीन 50 इन दिनों धूम मचा रही है। अमेजन पर लिस्टिंग के साथ ही कई बार आउट ऑफ स्टॉक हो चुकी इस पुस्तक को देशभर में खासा पसंद किया जा रहा है। किल द नेगेटिविटी वायरस की पंचलाइन पाली इस पुस्तक को आईएएस नवीन जैन ने कोरोना काल में मानवता बचाने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देने वाले जांबाजों समर्पित किया है।

पुस्तक को कुल 50 भागों में बांटा गया है और इसका हर चैप्टर नकारात्मकता पर नियंत्रण करने वाली एक सकारात्मक वैक्सीन बनकर सामने आया है। सही मायने में वैक्सीन 50 का हर चैप्टर मोटीवेशन की एक खान जैसा है। कोरोना महामारी की त्रासदी ने जहां आम से खास व्यक्ति और दुनिया के कारोबार की कमर तोड़ दी है, वहीं इससे उपजी मानसिक और शारीरिक शिथिलता ने लोगों को भीतर तक तोड़-मरोड़ कर रख दिया है। ऐसे संकट भरे माहौल में नवीन जैन उदाहरणों के साथ सकारात्मक विचारों से जान फूंकने में कामयाब रहे हैं। अपने मूल जुनूनी स्वभाव की झलक नवीन जैन की इस पुस्तक में भी नजर आती है। पूरी पुस्तक में शब्दों में कहीं थकावट और बोरियत नजर नहीं आती। विषय सूची से ही पुस्तक और लेखक की वैचारिक परिपक्वता साफ नजर आती है। पहले चैप्टर मेरा थोड़ा सा योगदान भी महत्त्वपूर्ण है से नवीन शब्दों के जरिए सकारात्मक वैक्सीनेशन शुरू करते हैं और सकारात्मक लोगों की हमेशा मांग रहेगी, किसी को हराना हो तो हतोत्साहित करना काफी है, जीवन सफेद कागज है, उस पर लगा काला बिंदु नहीं, मर्ज छुपाने से घटता नहीं, बल्कि बढ़ता है, होशियार दिमाग कठिनाई में रास्ता खोज लेता है, आसपास की खुशहाली आपको सम्पन्न बनाती है जैसे चैप्टर्स से गुजरते हुए विपत्ती के बाद की दुनिया पहले से बेहतर बनाएं जैसे जीवंत चैप्टर पर आकर थमते हैं।

यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच, अनुभवों, जीवन के गूढ़ रहस्यों, जीवंत किस्से-कहानियों और मोटीवेशन से  नवीन जैन से इस पुस्तक के जरिए समाज को कुछ अच्छा लौटाने की सफल कोशिश की है। लेखक ने पुस्तक में माना है कि स्थिर मन तथा शांत मस्तिष्क से जीवन जीना महानतम उपलब्धि है और इसे पाना भी हमारे आंतरिक प्रयासों पर निर्भर है। अपने सकारात्मक वैक्सीनेशन के बीच एक पड़ाव पर नवीन कहते हैं, समंदर की तरह संसार में भी समस्याओं की आंधी चलती रहती है, लेकिन धैर्यवान लोग इन्हीं हवाओं पर सवार होकर मजबूत महल बनाते हैं। नवीन ने भगवत गीता से प्राप्त अपने ज्ञान और अनुभवों के बाद सात्विक, राजसिक और तामसिक तीनों भेद के संदर्भ में भी विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने कर्म की प्रधानता के महत्त्व को तो पुस्तक में उठाया ही है, वहीं जीवन में एक-दूसरे के सहायक बनना, सहायता करना और विनम्रता के साथ आगे बढऩे को भी भरपूर प्रोत्साहन दिया है। अपने आखरी चैप्टर के वैक्सीनेशन में विपत्ति के बाद की दुनिया को बेहतर बनाने के लिए लेखक ने उम्मीदों को पंख दिए हैं। लेखक ने इस चैप्टर में प्रसिद्ध सूफी संत राबिया और ख्याति प्राप्त संत हसन के उदाहरण से उम्दा संदेश देने का प्रयास किया है कि दुनिया में जो लोग ऊपर उठते हैं, वे जमीन से अच्छे से जुड़े रहते हैं, क्योंकि सत्य जादू-टोने से ऊपर की चीज है।

राजस्थान काडर के ही जाने-माने आईएएस डॉ. के.के.पाठक ने वैक्सीन 50 में लिखे अपने दो शब्दों के संकलन में कहा है, छोटे अध्यायों में निबद्ध व बड़े संदेशों को लिए यह कृति सरल व प्रवाहमय है, इतनी कि सभी वर्ग पढ़ सकें, बिना व्यवधान, बिना व्याख्या। वे सीधे अंतस् को छूती हैं, हृदय को स्पंदित करती हुई भी, चेतना को झकझोरती हुई भी, इसलिए वे केवल कोरोना कालखंड की वैक्सीन ही नहीं रह गई है, पूर्व व पश्चातï् के काल की भी संचेतना बन गई है।

कुल मिलाकर कोरोना काल में फैली नकारात्मकता को एक उम्दा पुस्तक से दूर करने की कल्पना को वैक्सीन 50 साकार करती है। यही वजह है कि लिस्टिंग के पहले ही दिन से अमेजन और अमेजन किंडल पर पुस्तक को पाठकों का भरपूर समर्थन मिला है। अपनी श्रेणी में यह पुस्तक लॉन्चिंग के पहले ही दिन अमेजन किंडल की रैंकिंग में 38वें पायदान पर पहुंच गई थी।


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Officers Times - RNI No. : RAJHIN/2012/50158 (Jaipur)

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