राजस्थान काडर के 45.05 फीसदी आईएएस अधिकारी ऐसे हैं, जिन्होंने विदेशों में प्रशासनिक और प्रबंधन से जुड़े मसलों का अध्ययन किया और अपने देश को नई दिशा, नई ऊर्जा प्रदान करने का सफल प्रयास किया।
पढ़ाई कभी पूरी नहीं होती। ...और न ही पढऩे की कोई उम्र होती है। कोई माने ना माने, लेकिन प्रशासनिक सेवाओं में आने के बाद भी पढऩे की ख्वाहिश पूरी करने वाले आईएएस अफसरों को टटोलें, तो ऐसा ही लगता है। राजस्थान काडर के कुल आईएएस अधिकारियों में से 45.05 फीसदी ऐसे हैं, जो पढ़ाई-लिखाई और टे्रनिंग के लिए विदेश गए हैं। कुछेक ने तो विदेश से ही अपनी प्रबंधन, लॉ और स्नातकोत्तर की डिग्रियां पूरी की हैं। काडर के आईएएस अधिकारियों की ओर से केन्द्र सरकार को सौंपी सूचनाओं और आंकड़ों के अनुसार वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों ने विदेशों में हो रही टे्रनिंग्स का भरपूर लाभ लिया और वहां से सीखे प्रबंध कौशल को यहां अपने देश में बखूबी काम में लिया है।
यहां गए ऑफिसर्स
काडर के आईएएस ऑफिसर्स में जिन देशों में टे्रनिंग लेने और अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने को लेकर आकर्षण देखा गया, उनमें अमेरिका, यूके, ऑस्टे्रलिया, चीन, जापान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया शामिल थे। ज्यादातर ऑफिसर्स ने इन्हीं देशों में टे्रनिंग और अपनी उच्च शिक्षा लेने को प्राथमिकता दी। लेकिन कुछेक देश ऐसे भी थे, जहां एक-आध टे्रनिंग ही हमारे ऑफिसर्स के हिस्से में आई। इन देशों में केन्या, हांगकांग, मलेशिया, कोरिया, स्वीडन, नीदरलैण्ड, स्विट्जरलैण्ड, स्लोवेनिया, जेनेवा, इटली, फ्रांस, श्रीलंका, जर्मनी, कनाडा, इज्राइल, स्पेन, वियतनाम शामिल हैं।
विदेश से किया एमबीए
प्रबंधन की शिक्षा ग्रहण करने के लिए काडर के करीब आधा दर्जन आईएएस अधिकारी विदेश पहुंचे। इनमें राकेश वर्मा (अमरीका), पुरुषोत्तम अग्रवाल (यूके), देवेन्द्र भूषण गुप्ता (ऑस्ट्रेलिया), गिर्राज सिंह (यूके), डॉ. सुदर्शन सेठी (यूके), नील कमल दरबारी (ऑस्ट्रेलिया), वीनू गुप्ता (ऑस्टे्रलिया) शामिल हैं।
52 सप्ताह से ज्यादा रहे विदेश
लॉ, पीजी डिप्लोमा, प्रबंधन इत्यादि विभिन्न कोर्सेज करने के लिए राजस्थान काडर को आईएएस अधिकारी एक साल या इससे भी ज्यादा समय तक विदेश में रहे। इन अधिकारियों ने वहां से प्रशासनिक, प्रबंध कौशल को लेकर जो सीखा उसे बेहतर रूप में अपने देश की सेवा में लगाया। इन अधिकारियों मे आशा सिंह (अमरीका), बी.बी. मोहंती (यूके), राजीव महर्षी (यूके), वी.एस. सिंह (ऑस्टे्रलिया), उमराव सालोदिया (यूके), आशीष बहुगुणा (यूके), रवि माथुर (यूके), अदिती मेहता (अमरीका), नीलिमा जौहरी (अमरीका), तपेन्द्र कुमार (यूके), ए. मुखोपाद्य्याय (ऑस्ट्रेलिया), अशोक जैन (यूके), निहाल चन्द गोयल (यूके), गुरजोत कौर (अमरीका), दिनेश कुमार गोयल (यूके), डॉ. मालविका पंवार (यूके), पुरुषोत्तम अग्रवाल (यूके), देवेन्द्र भूषण गुप्ता (ऑस्ट्रेलिया), मनोहर कांत (ऑस्ट्रेलिया), प्रमोद कुमार आनंद (यूके), गिर्राज सिंह (यूके), मधुकर गुप्ता (अमरीका), किरण सोनी गुप्ता (अमरीका), नील कमल दरबारी (ऑस्ट्रेलिया), वीनू (ऑस्ट्रेलिया), आर. वेंकटेश्वरन (अमरीका), संदीप वर्मा (अमरीका) शामिल रहे।
95 के बाद कम मिले अवसर
1994 बैच तक हालांकि कई ऑफिसर्स ऐसे रहे हैं, जिन्हें तीन या पांच बार भी विदेश में टे्रनिंग लेने और पढऩे का अवसर मिला, लेकिन इसके बाद महज 11 आईएएस ऑफिसर्स ही टे्रनिंग के लिए विदेश जा पाए हैं। इन ग्यारह ऑफिसर्स में प्रवीण गुप्ता, राजीव सिंह ठाकुर, गायत्री ए. राठौड़, विनोद पण्ड्या, वैभव गैलारिया, भवानी सिंह देथा, पी. रमेश, आरती डोगरा, वी. श्रवण कुमार, परमेश्वरन बी., नीरज के. पवन शामिल हैं। साथ ही ऐसे यंग ऑफिसर्स की फेहरिस्त भी लम्बी है, जो अभी तक किसी भी ट्रेनिंग में शामिल होने विदेश नहीं जा पाए हैं। हालांकि 1995 व इसके बाद के बैच से जुड़े अधिकारियों को विदेश जाने के कम अवसर मिलने के पीछे एक बड़ा कारण उनकी व्यस्तता भी है। जिला कलक्टर इत्यादि पद पर रहते हुए काम का दबाव और जिले को लम्बे समय तक छोड़कर जाना संभव नहीं होने की वजह से इन ऑफिसर्स को कम अवसर मिले।
25 देशों में पहुंचे ऑफिसर्स
विदेशों में ट्रेनिंग के मामले में इसे ऑफिसर्स की चॉइस का मामला बताएं या फिर सहुलियत। हालांकि ऑफिसर्स टे्रनिंग लेने के लिए अब तक 25 देशों में जा चुके हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर ऑफिसर्स ने अमेरिका और यूको की टे्रनिंग्स को प्राथमिकता दी है।
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