गहरे आस्तिक, विनम्र मिजाज, सहज अंदाज और भरपूर सरलता! कुछ ऐसे ही हैं, जयपुर पुलिस कमिशनर बी.एल. सोनी। राजस्थान काडर के ऐसे आईपीएस जिन पर जनता थानों से ज्यादा भरोसा करती है। ...जो सहज उपलब्ध हैं। जिनकी विनम्रता और अपने कामकाज में सक्रियता बेहद मशहूर है।
एक परिवार में जिम्मेदार पिता की भूमिका और पिता का बच्चों से स्नेह का रिश्ता कितना गहरा होता है? ऐसा रिश्ता जो न बयां होता है, न उसकी सीमाएं होती हैं। वह रिश्ता न लोक-लाज के बंधनों में बंधता है और न ही बाहरी बाधाएं उसे तोड़ पाती हैं! कुछ ऐसा ही रिश्ता है राजस्थान काडर के आईपीएस भगवान लाल सोनी और जयपुर का। जयपुर पुलिस कमिशनर सोनी काडर के ऐसे आईपीएस हैं, जिन पर जनता थानों से ज्यादा भरोसा जताती है। साइबर क्राइम, सीबीआई और राजस्थान पुलिस में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाओं से हमेशा चर्चित रहे सोनी देश के ऐसे आईपीएस अधिकारी हैं, जिनके दायरे में आने वाले हर थाने में अब पहला शब्द ‘हैलो’ नहीं ‘जय हिंद’ सुनने को मिलता है।
कामकाज की बेहतरीन शैली और बड़े महकमें को संभालने के लिए कुशल प्रबंधक के तौर पर सोनी खा पहचान रखते हैं। गुणवत्तापूर्ण और त्वरित समाधान के प्रणाली को लेकर बेहद सक्रिय सोनी इस बारे में कहते हैं, ‘यह सही है कि सामान्य प्रणाली की तुलना में कमिशनर प्रणाली में ज्यादा अधिकार पुलिस के पास होते हैं। लेकिन हमने इन अधिकारों का इस्तेमाल कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने और एक सुदृढ़ सुरक्षा प्रणाली को विकसित करने में लगाया है। पुलिस कंट्रोल रूम का केन्द्रीयकरण करने के साथ पीसीआर वैनों की संख्या भी बढ़ाई गई हैं। अब कंट्रोल रूम में हर रोज 6000-8000 कॉल आ रही हैं। इन पर तुरंत कार्रवाई हो रही है। अगर मामला अग्निश्मन विभाग का होता है, तो उन्हें तुरंत सूचना दी जाती है। बात नगर निगम की हो, तो उन्हें कंट्रोल रूम से ही कॉर्डिनेट किया जाता रहा है।’
सोनी के कामकाज में संस्कारों का असर भी देखने को मिलता है। लीक से हटकर काम का तरीका, सेवाभाव के साथ समाधान और पारदर्शी प्रणाली में कामकाज को बहुत आगे हैं। इसे क्रिएटिविटी की मिसाल ही कहेंगे कि सोनी ने पुलिस कमिशनरेट से जुड़े सभी अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए विशेष कॉलर टोन भी तैयार करवाई है। जिसमें कमिशरेट के कामकाज और सहयोग पर फोकस किया गया है। साथ ही जयपुर कमिशनरेट की ओर से बीट सीएलजी को लेकर भी फोकस किया जा रहा है। यह विशेष रूप से गठित की जाने वाली ऐसी कमेटी की संरचना है, जिसमें क्षेत्र विशेष के क्राइम पर नियंत्रण के लिए आम लोगों की भागीदारी बढ़ाई जाती है। इसी प्रणाली में अब तक शहर में 13,500 से ज्यादा लोग कमेटियों में शामिल हो चुके हैं। अपने कामकाज में नई सोच, नई प्रेरणा और प्रयोगों को लेकर तत्पर रहने वाले सोनी कामकाज के इस अंदाज को लेकर बड़ी सहजता से संस्कारों का जुड़ाव स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं, मेरी मां कहा करती थीं, किसी के लिए कुछ करने लायक हो, तो जरूर करो। ...और जो करो उसे सबसे अच्छा करो। मैं मां के उन संस्कारों को हमेशा महत्त्व देता रहा हंू। यही वजह है कि कामकाज में त्वरित समाधान को मैंने हमेशा प्राथमिकता पर रखा है। आज हमारे थानों में कोई समस्या लेकर आता है, तो ऑफिसर्स उन पीडि़त के हर पक्ष को तवज्जो देते हैं। सबसे पहले त्वरित समाधान के रास्ते तलाशते हैं। ऑफिसर्स से हमेशा यही कहता हूं कि बेहतर बनो, लेकिन कभी भी कमर्शियल या कॉर्पोरेट मत बनो। हमें समाधान देना जरूरी है। अगर हम जनता को विनम्रता से, सरलता से समाधान तक पहुंचाते हैं, तो सही मायने में क्राइम के आंकड़े अपने आप घटने लगेंगे। सिस्टम में ज्यादा पारदर्शिता लाना संभव होगा।'
देश में पुलिस कमिशनर प्रणालियों में जयपुर कमिशनरेट ने पुलिस की छवि बदलने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। अब पुलिसिया डंडा या पुलिसिया रौब जैसे जुमलों की छवि से दूर व्यवहारकुशल और ज्यादा जिम्मेदार पुलिस फौज जयपुर को संभाल रही है। इस प्रणाली को विकसित करने के लिए सीधे तौर पर पुलिस कमिशनर टे्रनिंग इत्यादि में खुद की जबरदस्त भागीदारी निभा रहे हैं। इस बारे में बताते हुए सोनी कहते हैं, 'पुलिस अकादमी और ओटीएस में विभिन्न टे्रनिंग हम आयोजित कर रहे हैं। अब जयपुर पुलिस एक खास संगठित प्रणाली में काम कर रही है, जिसमें हर बीट में सूचनाएं जुटाने का मजबूत तंत्र तैयार किया गया है। हर थाने के कांस्टेबल से लेकर अधिकारी तक की जिम्मेदारियां तय हैं। हमने एक विशेष बीट बुक भी तैयार की है, जिसमें शहर के हर व्यक्ति, एटीम, मोबाइल की दुकाने, साइबर कैफे, संस्थान इत्यादि 88 प्रकार के ब्योरे लिए जा रहे हैं। इसके प्रबंधन के लिए भी विशेष प्रणाली विकसित की है। कांस्टेबल स्तर तक को अपने इलाके का जिम्मा सौंपा गया है। जिम्मेदारी के लिहाज से देखें, तो इस बीट बुक के जरिए कांस्टेबल ही अब अपने बीट क्षेत्र का कमिशनर है। हर कांस्टेबल के बीट क्षेत्र में 400 के करीब घर और 100 के करीब दुकाने आती हैं। उनकी पूरी जानकारी कांस्टेबल की बीट बुक में होगी। इससे अपराधियों पर शिकंजा कसने और अपराध को कम करने में जबरदस्त सहयोग मिलेगा।'
जयपुर कमिशनरेट प्रणाली में कम्यूनिटी पुलिसिंग को प्रमोट करने में सोनी ने अहम भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत थाना इंचार्ज का लोगों से फील्ड में जाकर सीधे मुलाकात करते हैं। एक और मजबूत पक्ष सोनी के साथ हमेशा ही जुड़ा रहा है। उनकी सामाजिक सरोकारों में अहम भागीदारी रही है। सोनी के मार्गदर्शन में ही देश में पहली बार जयपुर में हुक्का-बार पर रोक लगाने की अहम पहल की गई है। साथ ही वे जयपुर को तम्बाकू मुक्त बनाने के अभियान के सूत्रधार भी रहे हैं।
सोनी सीबीआई में डीआईजी पद पर भी सेवाएं दे चुके हैं। इस पद पर सेवाओं के दौरान उन्होंने पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड, चण्डीगढ और जम्मू-कश्मीर का जिम्मा सम्भाला। इसी कार्यकाल में सोनी तीन सालों तक सेवाओं के मामले में शीर्ष पर रहे और उनका क्षेत्र टॉप जोन के रूप में मशहूर हुआ। वे गहरे आस्तिक भी हैं। अपने निजी जीवन से लेकर कामकाजी जीवन तक हर नया पहलू गहरी आस्था और गोविंददेवजी के आशीर्वाद से शुरू करते हैं। सोनी कहते हैं, गोविंददेवजी जयपुर के मालिक हैं। पुराने जमाने में भी जयपुर ठिकाने का मालिक गोविंददेवजी को ही माना जाता था। आज भी जयपुर पर उनकी वही कृपा है। मैं भी नया साल हो, बच्चों का जन्मदिन हो या कोई शुभ दिन, उस दिन की शुरुआत गोविंददेवजी से ही करता हंू।' विचारों में बेहद सकारात्मक सोनी कभी हार नहीं मानते। वे कहते हैं, 'मैं हमेशा ही मानता हंू कि कोई सुपरपावर है जो दुनिया को चलाती है। अंधेरे के बाद हम उजाले की आशा रखें, तो जीवन में कभी भी हार नहीं मानेंगे। सच कहंू, तो दुखी रहने के हजार कारण हो सकते हैं, लेकिन खुश रहने के लाख कारण हैं। हम सकारात्मक रुख रखेंगे, तो जिंदगी के हर पक्ष में खुशियां होंगी। बड़ों का आशीर्वाद हमारे साथ होगा, तो उन खुशियों के साथ हम अपने बेहतरीन पलों को जी पाएंगे।'
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